दुनिया का सबसे अनोखा कस्बा, जहां रहने के लिए करवानी पड़ती है पेट की Surgery ! वे 250 रुपये की रसीद कटवाकर मंदिर में दाखिल हुआ था लेकिन मंदिर परिसर में तैनात सुरक्षाकर्मियों ने उसे पहचान लिया और पुलिस को बुलाया। जिसके बाद पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया। विकास (Vikas Dubey) की मां के मुताबिक वे शिव भक्त है। हाल ही में मीडिया से बात करते हुए उसकी मां ने बताया था कि वे हर साल सावन में महाकाल के इस मंदिर में दर्शन करने जरूर जाता था लेकिन वो कहते हैं ना भगवान भी हमेशा अच्छे लोगों का साथ देते हैं।
शायद यही वजह है कि विकास (Vikas Dubey) भोले (Lord Shiv) के दर्शन के पहले ही पुलिस के हत्थे चढ़ गया। जिस महाकाल मंदिर में वो गया था वे दुनिया के सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है। आज हम आपको इस मंदिर से जुड़े 5 खास बाते बताने जा रहे हैं।
सावधान ! बढ़ गया है COVID-19 का खतरा, कुछ ही दिनों में शरीर से गायब हो रही हैं Corona एंटीबॉडीज ! 1- महाकालेश्वर (mahakaleshwar ) मंदिर भारत के बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है। यह मध्यप्रदेश राज्य के उज्जैन नगर में स्थित, महाकालेश्वर भगवान का प्रमुख मंदिर है। इसके साथ ही ये भगवान शंकर के विशेष और प्राचीन मंदिर हैं। जिनकी हिंदू धर्म में सबसे ज्यादा मान्यता है।
2- महाकालेश्वर मंदिर (mahakaleshwar ) दुनिया का एकमात्र दक्षिणमुखी शिवलिंग है। तंत्र-मंत्र की दृष्टि से इसे बेहद महत्वपूर्ण माना गया है। पुराणों, महाभारत और कालिदास जैसे महाकवियों की रचनाओं में उज्जैन के महाकाल मंदिर का वर्णन मिलता है. चूंकि दक्षिणमुखी है, इसलिए माना जाता है कि यहां दर्शन करने पर पुण्य की प्राप्ति होती है।
3- उज्जैन में महाकाल (Mahaka) को ही राजा माना जाता है, इसलिए महाकाल की इस नगरी में और कोई भी राजा कभी रात में यहां नहीं रुकता। वहीं हर सावन सोमवार के दिन महाकाल अपनी प्रजा का हाल जानने के लिए उज्जैन में शाही सवारी में निकलते हैं। जिसकी तैयारी खुद बड़े अधिकारी करते हैं और इस मौके पर बाबा को गार्ड ऑफ ऑनर दिया जाता है।
4- महाकाल मंदिर के सबसे ऊपरी तल पर स्थित नागचंद्रेश्वर महादेव मंदिर साल में सिर्फ नाग पंचमी के दिन ही खुलता है। इसके अलावा इस मंदिर के 118 शिखरों पर 16 किलो स्वर्ण की परत चढ़ाई गई है। ये सूर्य की रोशनी में दमकते रहते हैं. मंदिर की देखरेख एक प्रशासकीय समिति करती है।
5- बताया जाता है कि साल 1235 में इल्तुत्मिश ने महाकाल मंदिर को ध्वंस कर दिया है। इसके बाद उज्जैन के राजाओं ने इसका जीर्णोद्धार और सौन्दर्यीकरण कराया। वहीं साल 1728 में मराठा शासकों ने इस इलाके पर अपना अधिपत्य स्थापित किया। इसके बाद फिर से महाकालेश्वर मंदिर का निर्माण हुआ और इसके साथ ही उसमें ज्योतिर्लिंग की फिर से प्रतिष्ठा हुई।